Saturday, April 11, 2020

मक्का में स्थित काबा का रहस्य


साउदी अरब के मक्का में स्थित काबा का रहस्य

          भारत के लोग और इतिहासकार जब दावा करते है, की मक्का में भगवान् शिव का मंदिर था । तो बहुत से लोग खासकर मुस्लिम समुदाय इसे सच नहीं मानते। भविष्य महापुराण में पैगम्बर  मुहम्मद का नाम महामद हैमहामद शब्द अपभ्रंश होकर मुहम्मद हुआ है। जब कलियुग के 3500 वर्ष बीत गये तब भी वैदिक दैवी धर्म  संस्कृति का विस्तार होता देख त्रिपुराधिपति मयदानव को बहुत चिन्ता हुई कि कलियुग में अधर्म और पाप की वृद्धि होनी चाहिये आसुरी संस्कृति का विस्तार होना चाहिये परंतु कलियुग का कोई प्रभाव नहीं है,  तब कलियुग के 3500 वर्ष बीतने के बाद मयदानव ने  पश्चिम दिशा के रेगिस्तान में जाकर बालू का पार्थिव शिवलिंग बनाकर तपस्या करनी प्रारम्भ की । भगवान शिव त्रिपुराधिपति मयासुर की तपस्या से प्रसन्न हुए वरदान देने के लिये मयासुर के सामने साक्षात् प्रकट हुए तब त्रिपुराधिपति मय ने वरदान माँगा कि  सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग में वैदिक दैवी धर्म का विस्तार होता है परंतु कलियुग में आसुरी राक्षसी धर्म का विस्तार होना चाहिये अतः हे त्रिपुरारी शिवआप मुझे वरदान दें कि कलियुग में यहाँ इस रेगिस्तान में आप मेरे द्वारा बनाये हुए पार्थिव शिवलिंग में साक्षात प्रकट होकर आसुरी म्लेच्छ धर्म संस्कृति का विस्तार करें और म्लेच्छ जाति की रक्षा करें तब भगवान् शिव ने कहा कि तुम्हारा नाम महामद होगातुम म्लेच्छ भाषा का निर्माण करोतुम्हारे ऊपर कृपा करके मै तुम्हारे द्वारा निर्मित पार्थिव लिंग में मक्केश्वर महादेव के नाम से विख्यात होऊंगा और  हे महामद तुम आसुरी संस्कृति का विस्तार करो । इतना कहकर भगवान् शिव ने मयासुर द्वारा निर्मित पार्थिव लिंग ने प्रवेश किया और मक्केश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुए। मुस्लिम समुदाय साउदी अरब मक्का के धर्म स्थल को काबा कहता है और काबा  भारत तथा नेपाल से पश्चिम दिशा में स्थित है इसीलिये मुस्लिम लोग पश्चिम दिशा में काबा की तरफ मुख करके नमाज अदा करते हैं । मुस्लिम समुदाय जीवन में एक बार हज के लिये काबा के दर्शन के लिये जाता है। ये काबा ही मक्केश्वर महादेव हैं जो लिंग रूप में स्थापित है परंतु मुस्लिम समुदाय इस रहस्य को गुप्त रखता है और किसी के सामने स्वीकार नहीं करता है। परंतु भविष्य महापुराण इसका सबसे उत्तम प्रमाण है ।


धर्म रूपी सिंहासन


सनातन वैदिक धर्म रूपी सिंहासन के चार चरण

                  सनातन वैदिक धर्म में पंचदेव उपासना प्रचलित है। पाँच देवता बराबर है, पाँच देवताओं में कोई भी देवता छोटा या बड़ा नहीं है, सभी पाँच देवता ईश्वर हैंपाँच ईश्वर देवताओं में भेदभाव नहीं करना चाहिये ये पाँच देवता ईश्वर कहलाते हैं। ये पाँच ईश्वर देवता हैं:

1. भगवान् शिव

2. भगवान् विष्णु

3. भगवती देवी

 4. भगवान् गणपति

5. भगवान् सूर्य

 सनातन वैदिक धर्म सिंहासन है जिसके चार पाये हैं, चार जगद्गुरु ही चार पाद हैं

 सनातन वैदिक धर्म रूपी सिंहासन के चार चरण हैं:

1. जगद्गुरु भगवत्पाद आदि शंकराचार्य (अद्वैत वेदान्त )

2. जगद्गुरु रामानुजाचार्य (विशिष्टाद्वैत सिद्धांत, श्री वैष्णव)

3. जगद्गुरु मध्वाचार्य (द्वैत सिद्धांत)

4. जगद्गुरु निम्बार्काचार्य (द्वैताद्वैत सिद्धांतनिम्बार्क वैष्णव)


जाति या वर्ण की व्यवस्था इस प्रकार समझें

 साइंस पढ़े हुए लोग जाति या वर्ण की व्यवस्था इस प्रकार समझें कि जैसे स्वर्ण, रजत और ताम्र आदि 3 धातु 3 गुण सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण हैं। अब 3...