Saturday, March 14, 2020
अपरा विद्या और परा विद्या(अध्यात्म विद्या)
विद्या दो प्रकार की होती है: 1.अपरा विद्या(Physics) 2. परा विद्या(Meta Physics)
अपरा विद्या(Physics): अपरा विद्या के द्वारा अपरा प्रकृति(Nature) का पूर्ण रहस्यमय ज्ञान प्राप्त होता है। अपरा प्रकृति को ही भौतिक प्रकृति(Material Nature) कहा जाता है। अपरा विद्या के लिये ज्ञान के अनेक ग्रंथ हैं, जैसे चारों वेद, छ: वेदांग, पुराण, दर्शन आदि ॥अपरा विद्या(Physics) के द्वारा भौतिकवाद(Materialism) का पूरा ज्ञान मिलता है। भौतिकवाद का सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त किये बिना अध्यात्म(Spirituality) को जानना असम्भव है। अपरा विद्या(Physics) का सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त किये बिना परा विद्या(अध्यात्म विद्या) (Meta Physics) को जानना असम्भव है॥ प्रकृति(Nature) का सम्पूर्ण रहस्य जाने बिना परा प्रकृति(Superior Nature) और परब्रह्म को जानना असम्भव है। अपरा विद्या(Physics) में अपरा प्रकृति(Nature) का वर्णन, बिन्दु विस्फोट सिद्धांत(Big Bang Theory), कृष्ण विवर सिद्धान्त(Black Hole Theory), गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त(Theory of gravity), सृष्टि तथा प्रलय(Creation and Destruction), प्रकृति के द्वारा सृष्टि वर्णन(Creation from Nature), प्रकृति के तीन गुण सत्त्व-रज-तम की सृष्टि, काल(समय)-कर्म-स्वभाव की सृष्टि महत्तत्व(cosmic intellect), अहंकार(cosmic ego), मन(cosmic mind), इन्द्रियाँ(senses), पंच तन्मात्रा(five subtle elements), पाँच महाभूत (five gross elements) पृथ्वी-जल-अग्नि-वायु- आकाश की सृष्टि, प्रकृति के सभी तत्त्वों द्वारा विराट ब्रह्माण्ड(Universe) की सृष्टि का विस्तार से वर्णन है॥ अंतरिक्ष, चौदह लोक, ध्रुव तारा(Pole Star), सप्तर्षि मण्डल, शिशुमार चक्र(Spiral galaxy), परमेष्ठी मण्डल आकाश गंगा(Milky Way), सभी नक्षत्र(constelletions), सूर्यलोक, चन्द्रलोक,
सभी ग्रहों(Planets), सौर मण्डल(solar system), खगोल एवं भूगोल, पृथ्वीलोक का विस्तार से वर्णन किया हुआ है॥
परा विद्या(अध्यात्म विद्या) (Meta Physics):
भगवान् श्रीकृष्ण ने श्रीमद भगवद् गीता के दशम अध्याय विभूतियोग में श्लोक न .32
में परा विद्या का वर्णन करते हुए कहते हैं ''अध्यात्म विद्या विद्यानाम्''
अर्थात् मै समस्त विद्याओं में अध्यात्म विद्या(परा विद्या) (Meta Physics) हूँ॥ परा विद्या को ही ''अध्यात्म विद्या, ब्रह्मविद्या तथा परा विज्ञान'' कहा गया है॥ परा विद्या के द्वारा मूल प्रकृति एवं परब्रह्म का पूर्ण ज्ञान होता है इसीलिए इसे ''ब्रह्मविद्या'' भी कहा जाता है॥
दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय में परा विद्या(Meta Physics) का वर्णन किया गया है। मूल प्रकृति भगवती राजराजेश्वरी महात्रिपुरसुन्दरी ही सनातनी परा विद्या हैं॥ परा विद्या सनातनी ब्रह्मविद्या है। परा विद्या संसार के बन्धन से मुक्ति देने वाली सनातनी अध्यात्म विद्या है॥ परा विद्या संसार-बन्धन और मोक्ष की हेतुभूता सनातनी देवी तथा सम्पूर्ण ईश्वरों की भी अधीश्वरी हैं॥
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