Tuesday, March 24, 2020

धर्मानुबन्धनम्


धर्मानुबन्धनम्
                    भगवान् का प्रत्येक अवतार सामान्य-धर्म का उद्धार करने के लिए होता है , किन्तु इन्ही अवतारों में भी कहीं-कहीं सामान्य-धर्म के विरुद्ध विशेष-धर्म का भी आश्रय लेते हैं , जो सामान्य-धर्म के विपरीत दिखाई देता है ।
                    वह विशेष-धर्म सामान्य धर्मशास्त्र की दृष्टि से पाप होने पर भी धर्मानुबन्धित होने से उसे धर्म ही कहना चाहिये , क्योंकि उस धर्म के पथ का अनुसरण करने से जीव का कल्याण होता है ।
जैसे भगवान् राम ने गौ-ब्राह्मण-देवता-सन्त की रक्षा के लिए अवतार लिया , यह संस्कृत तथा भाषा की अनेक रामायणों से सिद्ध होता है ।
                      किन्तु उसी ब्राह्मण धर्म के विपरीत कर्म करने वाले सोमयाजी वेद के महाविद्वान् महाब्राह्मण रावण की परिवार सहित हत्या करके अनेकों ऋषियों के धर्म की रक्षा की ।
जैसे भगवान् श्रीकृष्ण ने युद्ध में शस्त्र न धारण करने की प्रतिज्ञा करके भी अपने भक्त अर्जुन की रक्षा के लिए तथा भीष्म के प्रतिज्ञा की रक्षा के लिए अपनी प्रतिज्ञा तोड़कर भी सुदर्शन चक्र धारण कर लिया ।
                      सामान्य-धर्म किसी पतिव्रता स्त्री के धर्म को नष्ट करने को महापाप मानता है , किन्तु जब उसी महासती के पतिव्रत-धर्म के प्रभाव से भगवान् शंकर के हाथों से भी उसका पति नहीं मारा जा सका , और वह इसीके प्रभाव से प्रतिदिन हजारों स्त्रियों का शीलभंग करता था ।
तब शिवजी की प्रार्थना से महाविष्णु ने करोड़ों सतियों के सतीत्व की रक्षा के लिए सामान्य-धर्म के विरुद्ध माया से उसके पति जलन्धर का रूप धारण करके तुलसी का शीलभंग किया व करोड़ों सतियों के सतीत्व की रक्षा की ।
                     अतः भगवान् के द्वारा अधर्म के समान भासमान होने पर भी धर्मानुबन्धित होने से यह विशेष-धर्म है , क्योंकि यह धर्म मात्र की रक्षा के उद्देश्य से किया ।
                    धर्मानुबन्धित = धर्म से सम्बन्धित सर्वसाधारण की दृष्टि में अधर्म होने पर भी जो धर्म हो ।
                                            "अर्थमर्थानुबन्धं च कामं कमानुबन्धनम् ।
                                             धर्म धर्मानुबन्धं च व्यवस्यति स बुद्धिमान् ।।"
                   धन वही है जो धन से सम्बन्धित हो , काम वही है जो काम से सम्बन्धित हो , धर्म वही है जो धर्म से सम्बन्धित हो --- जो ऐसा मानता है वही बुद्धिमान है ।

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